बॉलीवुड में हर हफ्ते दर्जनों फिल्में रिलीज होती हैं। इनमें से कुछ फिल्में केवल मनोरंजन का साधन बनती हैं, तो कुछ दिल छूने की कोशिश करती हैं। लेकिन क्या हर कोशिश कामयाब हो पाती है? ‘Aankhon Ki Gustakhiyan’ एक ऐसी ही कोशिश है—जहां emotion, visual beauty और acting talent सबकुछ तो है, लेकिन कहानी और स्क्रिप्ट की कमजोरी इसे मंज़िल तक नहीं पहुंचने देती।
Aankhon Ki Gustakhiyan" एक visually beautiful फिल्म है, जिसमें Vikrant Massey की performance दिल छू जाती है।
— Ravi Chaudhary (@BURN4DESIRE1) July 11, 2025
Romance और emotions का अच्छा balance है, लेकिन screenplay थोड़ा predictable है और कुछ scenes unnecessarily dragged लगते हैं। 📊 Rating: 3.5/5 ⭐
🟢 Highlights:
Vikrant… pic.twitter.com/VyMis6XmL6
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— Komal Nahta (@KomalNahta) July 11, 2025
कहानी का विस्तार: अंधेपन में छुपा इश्क़ या झूठ?
फिल्म की शुरुआत एक खूबसूरत train journey से होती है। Jahaan (Vikrant Massey), एक visually impaired म्यूज़िशियन, Mussoorie की पहाड़ियों की ओर जा रहा है inspiration की तलाश में। उसी ट्रेन में मिलती है Saaba (Shanaya Kapoor), जो खुद को अंधी बताती है लेकिन असल में एक theatre actress है, जो अपनी नई भूमिका के लिए method acting कर रही है।
दोनों के बीच बातचीत, हल्की हंसी-मजाक, और कुछ खास पल इस रिश्ते की नींव रखते हैं। लेकिन twist तब आता है जब पता चलता है कि Saaba अंधी नहीं है। और Jahaan भी अपनी blindness को छिपा रहा है। दोनों एक-दूसरे से झूठ बोल रहे हैं, लेकिन वो झूठ ही उनके रिश्ते की नींव बनता है। यहीं से कहानी में भावनात्मक उलझन और असमंजस शुरू होता है।
चरित्रों की गहराई और उनका विकास
👤 Jahaan (Vikrant Massey)
Vikrant का किरदार बहुत संभावनाओं से भरा हुआ था। एक दृष्टिहीन म्यूज़िशियन का अकेलापन, उसकी संवेदनशीलता और उसका जज़्बा—ये सब कुछ उनकी performance में दिखता है लेकिन उतना गहराई से नहीं जितना दिखना चाहिए था। ऐसा लगता है जैसे किरदार आधा लिखा गया हो और Vikrant को अपनी एक्टिंग से उसे पूरा करना पड़ा हो।
👩🎤 Saaba (Shanaya Kapoor)
Shanaya Kapoor की ये पहली फिल्म है और उन्होंने उम्मीद से बेहतर परफॉर्म किया है। उनकी आंखों में जो मासूमियत है, वो कुछ दृश्यों में बेहद असरदार लगती है। खासतौर पर emotional scenes में उनकी sincerity नजर आती है। हां, कुछ जगहों पर उनकी dialogue delivery कमजोर दिखती है, लेकिन वो उनकी पहली फिल्म को देखते हुए माफ़ की जा सकती है।
👨💼 Abhinav (Zain Khan Durrani)
तीन साल के leap के बाद जब Abhinav (Saaba का बॉयफ्रेंड) कहानी में एंट्री करता है, तब फिल्म थोड़ी रफ्तार पकड़ती है। Zain का किरदार संतुलित, संवेदनशील और supportive है। उन्होंने सीमित screen time में भी अपनी presence establish की है। उनके scenes में subtlety है, जो बाकी फिल्म में कहीं-कहीं missing है।
स्क्रीनप्ले, डायरेक्शन और स्क्रिप्ट: दिल से सोचा लेकिन दिमाग से नहीं लिखा
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है इसका script और screenplay। पहली बात, फिल्म की pacing uneven है—कभी बहुत धीमी, कभी बेवजह तेज़। और दूसरी बात, screenplay इतने सारे अनावश्यक मोड़ लेती है कि असली भावना पीछे छूट जाती है।
- ट्रेन का पहला हाफ सिर्फ दो किरदारों के इर्द-गिर्द घूमता है।
- Blindfold gimmick इतना stretch किया गया है कि credibility खत्म हो जाती है।
- Climactic scenes में भी emotional buildup नहीं बनता।
- कई scenes सिर्फ cinematography के लिए डाले गए लगते हैं, ना कि कहानी को आगे बढ़ाने के लिए।
Santosh Singh का निर्देशन तकनीकी रूप से ठीक है, लेकिन भावनात्मक स्तर पर फिल्म connect नहीं कर पाती। कई scenes ऐसे हैं जो emotional होना चाहिए, लेकिन screen पर flat लगते हैं।
सिनेमेटोग्राफी: Tanveer Mir का कमाल
अगर इस फिल्म को किसी एक चीज़ के लिए देखा जा सकता है, तो वो है इसकी cinematography। हर फ्रेम को इतना सुंदर और natural दिखाया गया है कि आपको postcard जैसा अहसास होता है। Budapest के aerial shots, Mussoorie की वादियाँ, ट्रेन के अंदर की soft lighting—हर frame attention demand करता है।
यह वो visual richness है जो दर्शकों को story के कमजोर पड़ने पर भी स्क्रीन से जोड़ कर रखती है।
म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर: एक ग़ुम हो चुकी भावनाओं की आवाज़
Vishal Mishra का music और Joel Coe Castro का background score फिल्म के sentiments को uplift करने की कोशिश करते हैं। खासकर टाइटल ट्रैक “Aankhon Ki Gustakhiyan” के lyrics में दर्द और longing महसूस होता है।
हालांकि, बहुत से scenes ऐसे भी हैं जहाँ संगीत के बावजूद भावना पूरी तरह से screen पर नहीं आ पाती—और इसका कारण एक बार फिर वही कमजोर screenplay है।
क्लिच और दोहराव: जो फिल्म को थका देते हैं
फिल्म में ऐसे कई trope हैं जो बार-बार Bollywood romantic films में दिखाए जाते हैं:
- Method acting के नाम पर खुद को अंधा दिखाना।
- ड्रग वाला emotional scene जो weird hallucination में बदल जाता है।
- तीन साल का leap, जो कहानी में कोई खास फर्क नहीं लाता।
- Predictable climax जहां closure अधूरा महसूस होता है।
इन सभी elements की वजह से फिल्म नया महसूस नहीं होती, बल्कि seen-before का अनुभव देती है।
सोशल मीडिया और क्रिटिक्स के रिएक्शन
💡 कुछ reactions:
- “फिल्म beautiful है लेकिन कहानी कमजोर है। Vikrant शानदार हैं और Shanaya surprise package हैं।”
- “Visuals mind-blowing हैं पर कहानी predictable है।”
- “A feel-good film जो थोड़ी सी और मेहनत से बहुत बेहतर हो सकती थी।”
इन reactions से साफ है कि जनता का response मिला-जुला है। कुछ ने performances और visuals की तारीफ की है, तो कुछ ने इसे missed opportunity बताया है।
बॉक्स ऑफिस पर असर: Word-of-Mouth ही आखिरी उम्मीद
फिल्म की शुरुआती कमाई औसत से भी कम है। Vikrant और Shanaya की presence कुछ दर्शकों को थिएटर तक ला सकती है, लेकिन लंबी दौड़ के लिए फिल्म को अच्छा word of mouth चाहिए।
फिल्म से क्या सीखा जा सकता है?
‘Aankhon Ki Gustakhiyan’ उन फिल्मों में से एक है जो ये सिखाती है कि सिर्फ अच्छा विचार और स्टार कास्ट ही काफी नहीं होता। एक सशक्त स्क्रिप्ट, ईमानदार निर्देशन और इमोशन्स का सही संतुलन जरूरी है।
Aankhon Ki Gustakhiyan एक emotionally rich फिल्म हो सकती थी, लेकिन execution ने इसे average बना दिया। Vikrant Massey हमेशा की तरह dependable हैं, और Shanaya Kapoor ने अपने करियर की अच्छी शुरुआत की है। फिल्म visually appealing है, लेकिन heart-touching नहीं।
हमारा Verdict: 3/5 स्टार
जरूर देखें अगर:
- आप Vikrant Massey या Shanaya Kapoor के fan हैं।
- आपको visually rich romantic films पसंद हैं।
- आप नई actresses को screen पर perform करते देखना चाहते हैं।
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