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The Hunt Rajiv Gandhi Assassination Case – एक रोमांचक और ऐतिहासिक कहानी

The Hunt Rajiv Gandhi Assassination Case - सोनी लिव की यह वेब सीरीज 1991 के ऐतिहासिक हत्याकांड और SIT की 90 दिनों की रोमांचक जांच को दर्शाती है।

The Hunt Rajiv Gandhi Assassination Case - सोनी लिव की यह वेब सीरीज 1991 के ऐतिहासिक हत्याकांड और SIT की 90 दिनों की रोमांचक जांच को दर्शाती है।

21 मई 1991 को भारत के इतिहास में एक काला दिन दर्ज हुआ, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई। इस दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और एक ऐसी जांच शुरू हुई, जो भारत की सबसे हाई-प्रोफाइल और जटिल जांचों में से एक बन गई।

The Hunt Rajiv Gandhi Assassination Case, एक सात एपिसोड की वेब सीरीज, जो सोनी लिव पर 4 जुलाई 2025 को रिलीज हुई, इस जांच की कहानी को बड़े ही रोमांचक और सच्चाई के साथ पेश करती है। यह सीरीज अनिरुद्ध मित्रा की किताब Ninety Days: The True Story of the Hunt for Rajiv Gandhi’s Assassins पर आधारित है और इसे नागेश कुकुनूर ने डायरेक्ट किया है। आइए, इस लेख में हम इस हत्याकांड और इसकी जांच की कहानी को सरल हिंदी में समझते हैं।

राजीव गांधी की हत्या: क्या हुआ था?

21 मई 1991 को राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उस समय भारत में 1991 के आम चुनाव चल रहे थे, और राजीव गांधी अपनी पार्टी, इंडियन नेशनल कांग्रेस, के लिए प्रचार कर रहे थे। रैली के दौरान एक युवती, जिसका नाम धनु (थेनमोझी राजरत्नम) था, राजीव गांधी के पास पहुंची और उन्हें माला पहनाने के बहाने पास आई। लेकिन उसने अपने शरीर पर बंधे विस्फोटक को चालू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप एक भयानक धमाका हुआ। इस हमले में राजीव गांधी सहित 14 अन्य लोग मारे गए। इस हमले के पीछे श्रीलंका की तमिल अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) का हाथ था।

यह हत्या न सिर्फ भारत के लिए एक बड़ा झटका थी, बल्कि इसने भारत और श्रीलंका के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों को भी प्रभावित किया। LTTE ने इस हमले को भारत के श्रीलंका में हस्तक्षेप और इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) की तैनाती के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में अंजाम दिया। इस घटना के बाद भारत में एक व्यापक जांच शुरू हुई, जिसे स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने संभाला।

The Hunt Rajiv Gandhi Assassination Case सीरीज का आधार और कहानी

The Hunt Rajiv Gandhi Assassination Case एक क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज है, जो इस हत्याकांड के बाद की 90 दिनों की जांच को दर्शाती है। यह सीरीज SIT के प्रमुख, डी.आर. कार्तिकेयन (जिन्हें अमित सियाल ने निभाया है), और उनकी टीम की मेहनत, चुनौतियों और दृढ़ संकल्प की कहानी है। इस जांच में कई रहस्य, साजिशें और खतरनाक मोड़ सामने आए, जिन्हें सीरीज में बड़े ही रोमांचक तरीके से दिखाया गया है।

सीरीज की शुरुआत उस रात से होती है, जब श्रीपेरंबदूर में धमाका होता है। धमाके के बाद SIT को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी दी जाती है। जांच के दौरान एक चमत्कारी खोज होती है – एक चिनॉन कैमरा, जो धमाके में बरकरार रहता है। इस कैमरे में मौजूद तस्वीरें जांच में पहला बड़ा सुराग देती हैं, जिससे हत्यारों की पहचान शुरू होती है।

जांच की शुरुआत: SIT का गठन

हत्याकांड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने CBI के वरिष्ठ अधिकारी डी.आर. कार्तिकेयन को SIT का नेतृत्व करने का आदेश दिया। कार्तिकेयन ने अपनी टीम में देश के कुछ बेहतरीन जांच अधिकारियों को शामिल किया, जिनमें अमित वर्मा (साहिल वैद), राघोथमन (बगवती पेरुमल), अमोद कांत (दानिश इकबाल), राधाविनोद राजू (गिरीश शर्मा), और कैप्टन रविंद्रन (विद्युत गर्ग) शामिल थे।

यह टीम न सिर्फ इस हत्याकांड के दोषियों को पकड़ने की कोशिश करती है, बल्कि LTTE की साजिश को भी उजागर करती है। जांच के दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि राजनीतिक दबाव, मीडिया की नजर, और LTTE के खतरनाक नेटवर्क का सामना। सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे ये अधिकारी दिन-रात मेहनत करते हैं, सुरागों को जोड़ते हैं, और हत्यारों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।

LTTE और सिवरासन: हत्या का मास्टरमाइंड

इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड सिवरासन, जिसे “वन-आइड जैक ” के नाम से भी जाना जाता था, LTTE का एक खतरनाक और चालाक ऑपरेटिव था। उसे शफीक मुस्तफा ने सीरीज में शानदार तरीके से निभाया है। सिवरासन ने इस हमले की योजना बनाई और इसे अंजाम देने के लिए धनु, शुभा, और हरिबाबू जैसे लोगों को शामिल किया।

सीरीज में सिवरासन को एक ऐसे शख्स के रूप में दिखाया गया है, जो बेहद चालाक और ठंडे दिमाग वाला है। वह अपने मिशन के लिए पूरी तरह समर्पित है और LTTE के आदेशों के खिलाफ जाकर भी दूसरा हमला करने की कोशिश करता है। उसकी इस हरकत से जांच और भी जटिल हो जाती है। सीरीज में यह भी दिखाया गया है कि LTTE के सदस्य अपने कारण के लिए कितने समर्पित थे, और कैसे वे भारत में अपने नेटवर्क को चला रहे थे।

जांच के महत्वपूर्ण मोड़

जांच के दौरान SIT को कई महत्वपूर्ण सुराग मिले। एक तस्वीर, जो धमाके के बाद मिले कैमरे से निकली, ने हत्यारों की पहचान में मदद की। इस तस्वीर में हरिबाबू, जो LTTE का एक स्थानीय समर्थक था, और धनु की मौजूदगी साफ दिखाई दी। इसके अलावा, SIT ने नलिनी और मुरुगन जैसे मुख्य साजिशकर्ताओं को पकड़ने के लिए देशव्यापी तलाशी अभियान चल全会 करता है।

SIT ने कोनेस्वरन नाम के एक छोटे स्तर के LTTE ऑपरेटिव को पकड़ा, जिसने महत्वपूर्ण जानकारी दी। इसके बाद मुरुगन की गिरफ्तारी से सुरक्षित ठिकानों और LTTE के नेटवर्क की जानकारी मिली। आखिरकार, सिवरासन और उसके साथियों को बेंगलुरु के पास एक सुरक्षित ठिकाने में घेर लिया गया, लेकिन इस ऑपरेशन में देरी के कारण कई सवाल उठे।

सीरीज की खासियत

द हंट की सबसे बड़ी खासियत इसका यथार्थवादी चित्रण और शानदार अभिनय है। अमित सियाल ने डी.आर. कार्तिकेयन के किरदार को बहुत ही संयम और गहराई के साथ निभाया है। उनकी लीडरशिप और जांच के प्रति समर्पण दर्शकों को बांधे रखता है। साहिल वैद, बगवती पेरुमल, और बाकी कलाकारों ने भी अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।

सीरीज का निर्देशन नागेश कुकुनूर ने किया है, जो अपनी सच्ची और भावनात्मक कहानियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इस सीरीज में न तो ज्यादा ड्रामा जोड़ा और न ही अनावश्यक नाटकीयता। इसके बजाय, उन्होंने जांच की प्रक्रिया को एक रोमांचक थ्रिलर के रूप में पेश किया, जो दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखता है।

हालांकि, कुछ दर्शकों ने भाषा की समस्या की शिकायत की। सीरीज में हिंदी, तमिल, और अंग्रेजी का मिश्रण है, लेकिन हिंदी वर्जन में तमिल डायलॉग्स के लिए केवल अंग्रेजी सबटाइटल्स उपलब्ध हैं, जिससे हिंदी भाषी दर्शकों को परेशानी हुई।

राजीव गांधी हत्याकांड का ऐतिहासिक महत्व

राजीव गांधी की हत्या भारत के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने न सिर्फ कांग्रेस पार्टी को प्रभावित किया, बल्कि भारत-श्रीलंका संबंधों पर भी गहरा असर डाला। LTTE ने इस हमले को IPKF की तैनाती का बदला बताया, जिसे राजीव गांधी ने 1987 में श्रीलंका भेजा था। IPKF का मिशन श्रीलंका में शांति स्थापित करना था, लेकिन यह मिशन असफल रहा और भारत को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

इस हत्याकांड की जांच में कई विवादास्पद पहलू भी सामने आए। जैन कमीशन की रिपोर्ट में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि पर सवाल उठाए गए, जिसके कारण 1998 में आई.के. गुजराल की सरकार गिर गई। इसके अलावा, कुछ लोगों का मानना है कि इस मामले में कई सवाल अनुत्तरित रह गए, जैसे कि खुफिया विफलता और राजनीतिक साजिशें।

दोषियों का क्या हुआ?

इस मामले में 26 लोगों को दोषी ठहराया गया, जिनमें से चार को मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि, बाद में इन सजाओं को उम्रकैद में बदल दिया गया। 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने छह दोषियों – मुरुगन, नलिनी, संतन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार, और रविचंद्रन – को रिहा करने का आदेश दिया, जिसका केंद्र सरकार और कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया।

द हंट: द राजीव गांधी असैसिनेशन केस एक ऐसी सीरीज है, जो भारत के एक दुखद और जटिल इतिहास को रोमांचक और सच्चाई के साथ पेश करती है। यह न सिर्फ एक क्राइम थ्रिलर है, बल्कि एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी है, जो उस समय की राजनीति, खुफिया तंत्र, और जांच प्रक्रिया को दर्शाता है। अमित सियाल और उनकी टीम के शानदार अभिनय, नागेश कुकुनूर का संयमित निर्देशन, और अनिरुद्ध मित्रा की किताब पर आधारित यह सीरीज दर्शकों को 1991 के उस दौर में ले जाती है।

अगर आप क्राइम थ्रिलर और ऐतिहासिक घटनाओं में रुचि रखते हैं, तो द हंट आपके लिए एक शानदार विकल्प है। यह सीरीज न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि उस समय की चुनौतियों और जटिलताओं को भी उजागर करती है। इसे सोनी लिव पर देखें और इस ऐतिहासिक जांच की कहानी का हिस्सा बनें।

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