```php Aap Jaisa Koi" Review: 40 की उम्र में पहली मोहब्बत या समाज की बंदिशें?

Aap Jaisa Koi Movie Review: एक प्रेम कहानी जो खो जाती है अपनी पहचान

“प्यार सिर्फ प्यार चाहता है, बराबरी का प्यार… जितना तुम, उतनी मैं।”

यही सोच लेकर बनी फिल्म ‘Aap Jaisa Koi  एक अलग तरह की प्रेम कहानी दिखाने का वादा करती है। लेकिन क्या यह फिल्म अपने वादे पर खरी उतर पाती है? आइए, विस्तार से जानते हैं।

Aap Jaisa Koi : कहानी क्या है?

श्रीरेनु त्रिपाठी (आर. माधवन) 42 साल का एक संस्कृत शिक्षक है, जो अभी तक शादी नहीं कर पाया है। उसकी ज़िंदगी में एकरसता है, लेकिन जब उसकी भाभी (आयशा रज़ा) उसके लिए कोलकाता की मधु बोस (फातिमा सना शेख) का रिश्ता लेकर आती हैं, तो उसकी ज़िंदगी में रंग भरने की उम्मीद जगती है।

मधु 32 साल की एक आधुनिक, स्वतंत्र विचारों वाली फ्रेंच टीचर है, जो अपने फैसले खुद लेती है। श्रीरेनु और मधु की पर्सनैलिटीज़ एकदम अलग हैं, फिर भी वे एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। लेकिन जब शादी से ठीक पहले एक राज़ खुलता है, तो उनका रिश्ता डगमगा जाता है।


फिल्म की अच्छाइयाँ

1. एक अलग तरह की प्रेम कहानी

बॉलीवुड में जहाँ ज़्यादातर प्रेम कहानियाँ युवा जोड़ों पर केंद्रित होती हैं, वहीं ‘Aap Jaisa Koi  एक मिडल-एज्ड कपल की कहानी दिखाती है। श्रीरेनु का किरदार उन लोगों को रिलेट करता है, जो समाज के दबाव में शादी न कर पाने को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं।

2. महिला सशक्तिकरण का सही संदेश

फिल्म में मधु का किरदार एक ऐसी महिला को दर्शाता है, जो अपनी इच्छाओं के बारे में खुलकर बात करती है। वह श्रीरेनु से साफ़ कहती है – “मेरी लिमिट्स मैं तय करूँगी, आप क्यों?” यह डायलॉग पितृसत्ता पर सीधा प्रहार है।

3. माधवन और फातिमा का बेहतरीन अभिनय

  • आर. माधवन ने श्रीरेनु के किरदार को बखूबी जिया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, शर्मीली मुस्कान और भावनाएँ दर्शकों को उनसे जोड़ देती हैं।
  • फातिमा सना शेख ने मधु के किरदार में जान डाल दी है। वह आत्मविश्वासी, मज़बूत और संवेदनशील दोनों है।

4. कोलकाता और जमशेदपुर की खूबसूरत सिनेमैटोग्राफी

फिल्म में कोलकाता की गलियों, हावड़ा ब्रिज और कॉफ़ी हाउस की शूटिंग ने इसे विजुअली आकर्षक बना दिया है।


फिल्म की कमियाँ

1. रॉकी और रानी का ओवरशैडो

फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह ‘ रॉकी और रानी की प्रेम कहानी  की तरह ही पितृसत्ता और महिला स्वतंत्रता पर भारी-भरकम संवाद थोप देती है। जहाँ रॉकी और रानी… में यह बातें ऑर्गेनिक थीं, वहीं ‘Aap Jaisa Koi’ में ये जबरन फिट की गई लगती हैं।

2. कहानी का असंतुलित फ्लो

फिल्म की पहली हाफ मज़ेदार और रोमांटिक है, लेकिन दूसरी हाफ में यह एक प्रीची लेक्चर में बदल जाती है। कॉन्फ्लिक्ट को जल्दबाज़ी में सुलझाया गया है, जिससे इमोशनल कनेक्शन कमज़ोर पड़ जाता है।

3. केमिस्ट्री की कमी

माधवन और फातिमा अच्छे एक्टर्स हैं, लेकिन उनके बीच रोमांस की गहराई नहीं दिखती। उनकी केमिस्ट्री फोर्स्ड लगती है, जो एक प्रेम कहानी के लिए ज़रूरी है।


फाइनल वर्ड: देखें या नहीं?

‘Aap Jaisa Koi’ एक हिट-एंड-मिस फिल्म है। अगर आपको स्लो-पेस्ड, थॉट-प्रोवोकिंग लव स्टोरीज़ पसंद हैं, तो आप इसे देख सकते हैं। लेकिन अगर आप ‘रॉकी और रानी…’ जैसी स्मूद और एंटरटेनिंग फिल्म की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह आपको थोड़ी निराश कर सकती है।

रेटिंग: ★★½ (3.5/5)

क्या याद रहेगा?

  • माधवन का इनोसेंट अभिनय
  • फातिमा सना शेख का कॉन्फिडेंट अवतार
  • “मेरी लिमिट्स मैं तय करूँगी” जैसे पावरफुल डायलॉग्स

तो क्या आपको ‘Aap Jaisa Koi’ देखनी चाहिए? अगर आप नई और अलग प्रेम कहानियों के लिए तैयार हैं, तो हाँ। वरना, आप इसे स्किप भी कर सकते हैं।

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