```php Guru Dutt : भारतीय सिनेमा का अनकहा शायर, जो 100 साल बाद भी दिलों में ज़िंदा है

Guru Dutt : भारतीय सिनेमा का अनकहा शायर, जो 100 साल बाद भी दिलों में ज़िंदा है

Guru Dutt, जिनका असली नाम वासंती कुमार शिवशंकर पादुकोण था, भारतीय सिनेमा के ऐसे फिल्मकार रहे हैं जिन्होंने 1950 और 60 के दशक में हिंदी फिल्मों को एक नई पहचान दी।
उनकी फिल्मों में दर्द, भावनात्मक गहराई और सौंदर्यशास्त्र का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में ‘प्यासा’, ‘कागज़ के फूल’, ‘चौदहवीं का चाँद’ और ‘साहिब बीबी और गुलाम’ शामिल हैं।


🎬 शुरुआती सफर और फिल्मी करियर

Guru Dutt का जन्म 1925 में बैंगलोर में हुआ, लेकिन उनका बचपन कोलकाता में बीता।
यहीं से उन्हें कला और साहित्य का पहला परिचय मिला।
उन्होंने उदय शंकर के डांस इंस्टीट्यूट, अल्मोड़ा में प्रशिक्षण लिया और बाद में प्रभात फिल्म कंपनी से बतौर कोरियोग्राफर अपने करियर की शुरुआत की।

पहली फिल्म: बाज़ी (1951)

उनकी डायरेक्टोरियल शुरुआत ‘बाज़ी’ से हुई जिसमें देव आनंद मुख्य भूमिका में थे।
यह फिल्म बॉम्बे नॉयर के रूप में जानी जाती है और एक नई स्टाइलिश शैली को जन्म देती है।

महत्वपूर्ण फिल्में:

  • आर पार (1954)
  • मिस्टर एंड मिसेज़ 55 (1955)
  • प्यासा (1957)
  • कागज़ के फूल (1959)
  • चौदहवीं का चाँद (1960)
  • साहिब बीबी और गुलाम (1962)

🌹 प्यासा: एक कालजयी काव्यात्मक फिल्म

प्यासा को Guru Dutt का मास्टरपीस कहा जाता है।
इस फिल्म में उन्होंने विजय नामक एक कवि का किरदार निभाया, जिसे समाज की संवेदनहीनता और बाजारवाद से संघर्ष करना पड़ता है।

दिल को छू जाने वाले गीत, “जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ हैं”, आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे।

प्यासा की कहानी उन्होंने पहले ‘कशमकश’ नाम से लिखी थी।
बाद में इसे उन्होंने खुद पर आधारित कर फिल्माया।


🎥 कागज़ के फूल: असफलता जिसने सब कुछ बदल दिया

कागज़ के फूल, उनकी आत्मा से निकली हुई फिल्म थी।
इस फिल्म में एक निर्देशक के जीवन की कहानी है जिसकी निजी और पेशेवर ज़िंदगी बिखरती चली जाती है।

हालांकि आज यह फिल्म एक क्लासिक मानी जाती है, लेकिन उस दौर में यह पूरी तरह से फ्लॉप रही।
इस असफलता ने गुरु दत्त को अंदर से तोड़ दिया और उन्होंने फिर कभी निर्देशन नहीं किया।


💔 निजी जीवन और मानसिक स्वास्थ्य

गुरु दत्त का जीवन बाहर से जितना शानदार था, अंदर से उतना ही विचलित और अकेला
उनके जीवन में कई बार आत्महत्या के प्रयास हुए।

बायोग्राफर यासिर उस्मान के अनुसार:

  • गुरु दत्त एक क्रॉनिक इंट्रोवर्ट थे।
  • उन्होंने कभी भी सार्वजनिक तौर पर अपनी बातें नहीं कही।
  • उनके संघर्षों की जानकारी हमें आज सिर्फ उनके करीबी लोगों की यादों से मिलती है।

बहन ललिता लाजमी का खुलासा:

  • “वो बहुत परेशान थे लेकिन उस दौर में मेंटल हेल्थ को गंभीरता से नहीं लिया जाता था।”
  • “दूसरे आत्महत्या प्रयास के बाद हमने डॉक्टर बुलाया, लेकिन इलाज नहीं करवाया। आज तक इसका पछतावा है।”

🎶 संगीत: आत्मा से जुड़ी धुनें

Guru Dutt की फिल्मों का एक और अनमोल पहलू था उनका संगीत और गीतों का चयन
उन्होंने गीता दत्त, एस.डी. बर्मन, ओ.पी. नैय्यर और हेमंत कुमार जैसे दिग्गजों के साथ काम किया।

कुछ अमर गीत:

  • वक्त ने किया क्या हसीन सितम – कागज़ के फूल
  • बाबूजी धीरे चलना – आर पार
  • जाने क्या तूने कही – प्यासा
  • प्रीतम आन मिलो – मिस्टर एंड मिसेज़ 55
  • हमने तो जब खुशियाँ माँगी – प्यासा

👩‍❤️‍👨 Guta Dutt और Guru Dutt का रिश्ता

गीता दत्त और Guru Dutt की शादी एक क्रिएटिव यूनियन थी, लेकिन समय के साथ उनमें दूरी आने लगी।
शादी से पहले गीता एक सुपरस्टार गायिका थीं, लेकिन शादी के बाद गुरु दत्त चाहते थे कि वह सिर्फ उनके लिए गायें।

इस वजह से उनके रिश्ते में तनाव आया और एक कलात्मक संघर्ष में बदल गया।
लेकिन दोनों ने कभी भी सार्वजनिक रूप से इस पर कुछ नहीं कहा।


🎞️ वापसी: चौदहवीं का चाँद

कागज़ के फूल की असफलता के बाद, Guru Dutt ने चौदहवीं का चाँद से धमाकेदार वापसी की।
यह फिल्म उनकी सबसे बड़ी कमर्शियल हिट रही और एक बार फिर उन्हें दर्शकों का प्यार मिला।

कलर सॉन्ग का किस्सा:

फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट में बनी थी, लेकिन गुरु दत्त ने इसका टाइटल सॉन्ग कलर में दोबारा शूट करवाया।
इसने सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ बढ़ा दी।


👩‍🎬 वहीदा रहमान की यादें

वहीदा रहमान, जो खुद एक दिग्गज अभिनेत्री रही हैं, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत Guru Dutt की फिल्मों से की थी।
CID, प्यासा, कागज़ के फूल जैसी फिल्मों ने उन्हें स्टार बना दिया।

“वो बहुत संवेदनशील थे। हमेशा कलाकारों की दिक्कतों को समझते थे।” – वहीदा रहमान


🎥 बायोपिक पर चल रही चर्चा

Guru Dutt की बायोपिक को लेकर अफवाहें हैं कि विक्की कौशल इसे निभा सकते हैं।
इस पर वहीदा रहमान का कहना है कि

“विक्की कौशल जैसे जवान कलाकार शायद उस किरदार की गहराई नहीं समझ पाएंगे। मैं चाहूंगी कि पंकज त्रिपाठी या नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेता इसे निभाएं।”


🌍 दुनिया में गुरु दत्त की पहचान

वहीदा रहमान ने एक किस्सा साझा किया जब वे पेरिस की सड़कों पर चल रही थीं और उन्होंने खुद का चेहरा एक पोस्टर पर देखा।
वहां के एक थिएटर में प्यासा और सत्यजीत रे की फिल्में दिखाई जा रही थीं।
यह दिखाता है कि गुरु दत्त की फिल्मों को इंटरनेशनल लेवल पर भी सराहा गया।


📽️ 100 वीं जयंती पर विशेष स्क्रीनिंग

NFDC और NFAI ने उनकी फिल्मों को 4K में रीस्टोर कर अगस्त 2025 में देशभर के सिनेमाघरों में फिर से रिलीज करने की योजना बनाई है।

दिखाई जाएंगी ये फिल्में:

  • प्यासा (4K प्रीमियर – 6 अगस्त)
  • आर पार
  • मिस्टर एंड मिसेज़ 55
  • चौदहवीं का चाँद
  • बाज़

Guru Dutt का जीवन एक खूबसूरत लेकिन दुखद कविता की तरह था।
उन्होंने जिस भावना और ईमानदारी से फिल्में बनाई, वो आज भी दर्शकों के दिलों में ज़िंदा हैं।

उनकी फिल्में ना सिर्फ मनोरंजन देती हैं, बल्कि जीवन के गहरे पहलुओं को भी छूती हैं।
भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन प्यासा के विजय, कागज़ के फूल के निर्देशक, और साहिब बीबी और गुलाम के संवेदनशील कलाकार के रूप में वह हमेशा जीवित रहेंगे।

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